हर इंसान के जीवन मे माँ का क्या योगदान है प्रेरणा से भरी कहानी | Motivational Story in Hindi on Maa | Maa Ka Pyaar Hindi Story

हर इंसान के जीवन मे माँ का क्या योगदान है प्रेरणा से भरी कहानी | Motivational Story in Hindi on Maa | Maa Ka Pyaar Hindi Story 

Motivational Story in Hindi on Maa | Mothers motivational story in hindi for success
Motivational Story Maa in Hindi 

हर इंसान के जीवन मे माँ का योगदान क्या है इस कहानी के माध्यम से मै आपको बताना चाहूँगा | माँ का दर्जा भगवान के बाद आता है क्योकि बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले बच्चे को माँ का चहरा ही बच्चे को नज़र आता है | माँ वो है जो हर दुःख शुख सहती है और अपने बच्चे को सफल बनाती है | आज की कहानी भी दोस्तों एक माँ की है जो सबकुछ सह कर अपने बच्चे को सही राह पर लाती है | यह कहानी मे आशा करता हूँ आपको प्रेरणा से भरेगी आप इस कहानी को यूटुब पर भी सुन सकते है "JYC MOTIVATION CLUB " | 

माँ अब अपने परिवार को छोड़ कर एक नए परिवार मे आती है -

यह कहानी है एक माँ की जो अपने परिवार के साथ शहर आती है क्यों आती है यह पता चलेगा आपको जब आप थोड़े पीछे की कहानी सुनेगे .....माँ की उम्र कम होती है शादी के वक़्त वो भी अंजान होती है की अब जिस परिवार मे वह जाएगी वह केसा होगा फिर भी माँ का आगमन होता है नए परिवार मे (ससुराल मे) माँ धिरे धिरे कोशिश करकर खुद को परिवार के हिसाब से ढालने की कोशिश करती है | परन्तु सबकुछ करने के बाद भी परिवार से कही ना कही माँ का तालमेल नहीं हो पता होता भी केसे क्योकि जब कोई सच्चाई को छोड़ कर झूठ को पसंद करता है तो उससे सच्चाई केसे पसंद आयेगी यहाँ भी ऐसा ही कुछ हो रहा था की जो जितना दिखावा करता उससे सत्कार ज्यादा दिया जाता था परन्तु जिसके साथ कोई नहीं होता ऐसा माना जाता है की उसका साथ भगवान देते है यहाँ भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलेगा आगे कहानी मे |

माँ घर पर पिता काम पर बहुत दूर 

माँ घर पर और पिता घर से बहुत दूर काम करते थे शहर मे साल भर मे पिता का घर आना होता था अब माँ पिता से घर पर क्या चल रहा है बताये तो पिता जी भी उस बात को ना माने अब माँ आपने दुखो को किसके साथ बाटे कोई नहीं था अब तक दुःख को बाटने वाला अब माँ का दुःख इतना ही नहीं था माँ को जब मुश्किल का ज्यादा सामना करना पड़ता है जब समझ उनके माँ न बनने पर उन्हें गलत साबित करने पर तुल जाता है पर मैंने पहले भी कहानी मे बताया था की जब कोई ना हो आपके साथ तो भगवन आपके साथ होता है बस याद करने की जरुरत होती है | अब माँ की इश्वर सुन लेता है और माँ को एक सुन्दर सी बच्ची होती है अब भी माँ बच्ची को साथ लेकर वो सभी काम करती है जो आज कल आपको नहीं देखने को मिलते अब तो काम बहुत ही कम है फिर भी सब थक जाते है पर ऐसा इस कहानी की माँ के साथ नहीं था बच्ची होने के बाद भी माँ वो सब करती थी जो पहले बच्ची के होने करती थी माँ को क्या पता था की मुश्किलें अब बढ़ने वाली थी क्योकि अब परिवार और भी बढ़ने वाला था अब जो माँ को पता नहीं था जो कभी सच नहीं बोलते थे वह बिलकुल ही सच सुनना और देखना भूल गए है पर माँ तो माँ थी ना वह सब देखकर चुप रही क्योकि वह परिस्तिथियों को सुधारना चाहती थी ना की बिगाड़ना माँ सहती रही पर कुछ ना बोली | अब वक़्त हुआ की माँ को एक बेटा हुआ तो परिवार की और से कोई साथ नहीं दिया गया पिता के दूर होने का दुःख तोथा पर माँ तो माँ थी उसे पता था की वक़्त खुद हर इन्सान से पूछेगा की माँ की गलती क्या थी इसलिए माँ का घर की और से साथ ना मिलने पर भी माँ ने कुछ नहीं कहा माँ अपनी माँ के पास चली गयी और वहा बच्चे की देखभाल करी पर माँ को पता था की यहाँ पर भी वह कितने दिन रुक सकती है समाज क्या कहेगा यह सोच कर माँ अपनी माँ के पास से चली गयी | अब पिता काफ्फी वक़्त बाद वापस आये और पिता से कहा की पिताजी आप हमे अलग कर दिजए क्योकि अब भी तो हम अलग ही क्योकि आपका साथ हमे नहीं मिल पा रहा तो पिता ने बेटे को मरते हुए कहा की नहीं अगर तुझे अलग ही होना है तो जा अपने बच्चो को यहाँ से लेकर निकल जा |

पिता के सामने जब आती है सचाई की माँ कितना दुख सहती है 

अब ऐसा सुन कर पिता अपने पिता से कहते है की अब मेरे पास तो पैसे बचे ही नहीं है क्योकि मेरी सारी महानत की कमाई तो बहनों की शादी मे और घर बनाने मे चली गई अब मेरे पास कुछ नहीं बचा फिर भी पिता बेटे को घर से निकाल देता है बच्चो के साथ पर फिर मे कहता हूँ की जब तक मुरलीवाल आपके साथ है तो आपको पैसो की नहीं सच्चाई की जरूरत होती है क्योकि उसे आपकी ईमानदारी देखनी है ना की आपका पैसा बस आपको परिश्रम करना होता है | पर अब तक पिता को यह पता चल चूका था की कौन सही है और कौन गलत इसलिए वह वह से अपने स्वाभिमान को लेकर निकलता है अब पिता कोशिश करता है तो नौकरी भी मिल जाती है और पिता महनत भी करते है अपने परिवार से दूर भी रहते है और सफल भी होते है इस दोरान माँ भी कपडे सिलाई करकर पिता का हाथ बाटती है और एक दिन पिता को एक अच्छी नौकरी भी मिल जाती है क्योकि अब इश्वर की नज़र माता पिता के ऊपर पड़ चुकी थी | अब धीरे धीरे यह बात सबको पता चल जाती है की पिता जी की अच्छी नौकरी लग चुकी है तो वह वापस आने लगते है क्योकि स्वार्थी इंसानों की जीवन मे कमी नहीं है पर वह सब फरेब है पर पिताजी साफ दिल के होने की वजह से इन बातो पर ध्यान नहीं देते थे की कोण उनके बारे मे क्या सोचता है पर सच यह है की वही इन्सान कामयाब है जो केवल सच का साथ देता है क्योकि वह स्वार्थी नहीं स्वाभिमानी होता है जो फरेबी है वह खुद के लिए ही गलत है |

अब माँ के कुछ दुख ख़तम होने लगे और जीवन मे ख़ुशी आने लगी 

माँ अब अपने बच्चो को समय देने लगी क्योकि अब कुछ पैसे भी बचने लगे और अब माँ खुश भी रहने लगी बच्चो को अच्छे स्कूलों मे भेजा माँ बाप ने पर अब भी नज़ारे उन सभी की माँ बाप पर टिकी थी जो एक वक़्त उन्हें पूछते नहीं थे वह अब आ आ कर मिलने लगे और खुद को सही साबित करने लगे पर इस्वर की नज़र है सभी पर जो जेस्सा करता है उसे वैसा ही मिलता है अंत मे अब माँ पिता ने अपने बच्चो को पढ़ा लिखा कर सक्षम बना दिया | यहाँ कहानी का अंत नहीं है इस कहानी का अंत आप अपने हिसाब से बना के देखए प्रेरणा मिलती है की नहीं यह देखते है | कहानी को शेयर किजए गा ताकि मेरी महनत सफल हो पाए और हर बच्चा अपनी माँ की कहानी हम तक पंहुचा सके और हम अपने पोस्ट मे उस कहानी को सामिल कर सके |

यह कहानी हर माँ की है बस अंत मे मै आपसे एक बात कहना चाहूँगा कि माँ को दिल मे रखे क्योकि माँ ने आपको जीवन दिया है वह भगवान ही है आपके लिए जो भी आप माँ के लिए कर सकते है वह किजए उनके दुखो को अपना बनाइए ना की उनके दुखो को बढाइये.....उन्हें दोस्त बनाइये किसी के कहने से उन्हें दुश्मन ना समझिए उनकी मुश्किलें कम किजए ना की मुश्किलें बढाइए |

खुश रहिए......उन्हें भी खुश रखिए.....|||

माँ अनमोल है यह बस आप समझिए अब तभी आप कल को बहतर बना पाएंगे........|||| 

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